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भारत केंद्रित शिक्षा आवश्यक : विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र द्वारा शैक्षणिक संगोष्ठी आयोजित
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गुवाहाटी में शैक्षिक संस्थाओं के साथ हुआ व्यापक विमर्श

गुवाहाटी। विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र द्वारा आयोजित एक दिवसीय शैक्षिक संगोष्ठी में पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों में शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं के प्रमुखों और प्रतिनिधियों ने एक साथ मिलकर शिक्षा के बहुआयामी पक्षों पर गहन चर्चा की। इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य था—राष्ट्रीय शिक्षा नीति, संस्कारयुक्त शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण और भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुरूप सामूहिक प्रयासों को बल देना।

कार्यक्रम का शुभारंभ उत्तर कमलाबारी के सत्राधिकार जनार्दन देव गोस्वामी, मेघालय के मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी, विद्या भारती के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष दूसी रामकृष्ण राव और पूर्वोत्तर क्षेत्र के अध्यक्ष प्रो. गंगा प्रसाद परसाई ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया। विद्या भारती वंदना के पश्चात क्षेत्रीय संगठन मंत्री डॉ. पवन तिवारी ने संगोष्ठी में उपस्थित सभी संस्थाओं के प्रतिनिधियों का परिचय और सम्मान किया।

संगोष्ठी में धार्मिक एवं सामाजिक क्षेत्रों से जुड़े 18 शैक्षणिक संस्थानों से 48 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी संस्थाओं ने अपने-अपने कार्यों का विस्तार से परिचय देते हुए शिक्षा क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों को साझा किया।

जनार्दन देव गोस्वामी ने कहा कि शिक्षा में केवल ज्ञान नहीं, बल्कि संस्कृति और संस्कार भी निहित होने चाहिए। हमें मतभेदों से ऊपर उठकर भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण और संवर्धन के लिए एकजुट होकर कार्य करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि उनके सत्र में आज भी गुरुकुल पद्धति से शिक्षा दी जा रही है, जो भारतीय परंपरा का जीवंत उदाहरण है।

संगोष्ठी में इस बात पर सहमति बनी कि शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत सभी संस्थाओं को राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए साझा नीति और समन्वय के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

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